Maha Shivratri Special – महा शिवरात्रि विशेष
नमस्कार दोस्तों,
आप सभी को महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ |
दोस्तों यूँ तो शिवजी से जुड़ी असंख्य कहानिया हैं लेकिन हम यहाँ आपके लिए Maha Shivratri Special – महा शिवरात्रि विशेष से जुड़ी के कहानी कह रहे हैं।
सनातन हिन्दू धर्म के मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन महा शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त दिन भर उपवास करते हैं और शाम में शिवजी की शिवलिंग पे बेलपत्र तथा दूध चढ़ा कर पूजा आराधना करते हैं। वैसे तो भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कभी भी की जा सकती है, लेकिन ऐसी मान्यता है की शिवरात्रि के दिन अर्चना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा अगर इस दिन अविवाहित कन्या उपवास रख भगवान शिव की पूजा करती है तो उसे मनवांछित वर की प्राप्ति होती है। इसी कारण आज के दिन हर कोई भोलेनाथ की आराधना करता है।
तब से भोलेनाथ कहलाने लगे नीलकंठ
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब समुन्द्रमंथन हुआ तो सुमंद्र से कई प्रकार की दुर्लभ तथा अलौकिक वस्तुएं निकली। इन्ही में से एक था नीला हलाहल विष, सभी अमूल्य वस्तुएं देवता तथा राक्षस आपस में बाँट लिए लेकिन विष को लेने से हर कोई इनकार कर दिया। हलाहल के प्रभाव से पूरी सृष्टी में त्राहिमाम मच गया और जीव – जन्तु मरने लगे।
सभी के कष्टों के निवारण हेतु भगवान् भोले उस हलाहल विष को पी गए।
माँ पार्वती ने महादेव के कंठ पे अपने हाथों से स्पर्श कर हलाहल को कंठ में ही रोक ली, जिस वजह से विष महादेव के कंठ से निचे ना जा सका और नीला हलाहल महादेव के कंठ में स्थिर हो गया। बस उसी दिन से भोलेनाथ का एक और नाम नीलकंठ पर गया और सभी उसी दिन से महा शिवरात्रि भी मानना शुरू कर दिए।
ठीक है दोस्तों, फिर मिलते हैं एक रोचक कहानी के साथ
धन्यवाद .